
आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक पहचान
बीते 8 वर्ष में वैश्विक परिदृश्य पर भारत तेजी से उभरा है और भारत की वैश्विक भूमिका भी बढ़ी है। विशेष कर बीते कुछ महीनों में भारत के पास कई महत्वपूर्ण मंचों का नेतृत्व करने का अवसर आया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बाद भारत को 1 दिसंबर 2022 से जी-20 का नेतृत्व करने का ऐतिहासिक अवसर मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को मिली जी-20 की अध्यक्षता बेहद महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि ‘वसुधैव कुटुंबकम् ‘ की भावना से भरे भारत की साख और धाक दोनों बढ़ रही है। भारत की इस वैश्विक उपलब्धि पर आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है देश का जन-जन। भारत की जी-20 की अध्यक्षता संरक्षण, सद्भावना और उम्मीद की अध्यक्षता के साथ बनने जा रहा है विश्व का गौरव…
सीबीसी
अयं निज: परो वेति गणना, लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥
अर्थात यह अपना बंधु है और यह अपना बंधु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो (संपूर्ण) धरती ही परिवार है। यह भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है और यही सोच भारत की जी-20 अध्यक्षता का मूल आधार है। शास्त्रों के इस श्लोक को ध्येय मानकर भारत ने जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर 1 दिसंबर 2022 से काम करना शुरू कर दिया है। भारत की आजादी के 75 वर्षों में यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन बनने जा रहा है जो अमृत काल में स्वर्णिम अवसर के रूप में भारत को मिला है। जी-20 ऐसे देशों का समूह है जिनका आर्थिक सामर्थ्य विश्व की 85 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 उन 19 देश और यूरोपीय संघ का समूह है, जो विश्व के 75 प्रतिशत व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं। जी-20 वह समूह है, जिसमें विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या समाहित है। भारत अब इस बड़े जी-20 के अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व कर रहा है। आजादी के अमृतकाल में देश के सामने यह बड़ा अवसर आया है जो हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है, उसका गौरव बढ़ाने वाली बात है।
आज का विश्व, सामूहिक नेतृत्व की तरफ बहुत आशा से देख रहा है। चाहे वो जी-7 हो, जी-77 हो या फिर संयुक्त राष्ट्र। इस माहौल में, जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत एक ओर विकसित देशों से घनिष्ठ रिश्ते रखता है और साथ ही विकासशील देशों के दृष्टिकोण को भी अच्छी तरह से समझता है, उसकी अभिव्यक्ति करता है। इसी आधार पर अपनी जी-20 अध्यक्षता की रूपरेखा ‘ग्लोबल साउथ’ के उन सभी मित्रों के साथ मिल कर बनाने जा रहा है जो विकास के पथ पर दशकों से भारत के सहयात्री रहे हैं। भारत का सदैव यह प्रयास रहेगा कि विश्व में कोई भी फर्स्ट वर्ल्ड या थर्ड वर्ल्ड न हो, बल्कि वन वर्ल्ड यानी एक विश्व हो। भारत, पूरे विश्व को एक ‘समान उद्देश्य’ के लिए, एक बेहतर भविष्य के लिए, साथ लाने के विजन पर काम कर रहा है। भारत ने वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के मंत्र के साथ विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति का आह्वान किया है। भारत ने ही वन अर्थ, वन हेल्थ के मंत्र के साथ ग्लोबल हेल्थ को मजबूत करने का अभियान चलाया है। और अब जी-20 में भी भारत का मंत्र है- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य। भारत के यही विचार, यही संस्कार, विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
पूरे राष्ट्र की है जी-20 अध्यक्षता
जी-20 की अध्यक्षता पूरे देश की है। यह आयोजन किसी सरकार भर का नहीं है, बल्कि हम भारतीयों का आयोजन है। जी-20 ‘अतिथि देवो भव’ की अपनी परंपरा के दर्शन करवाने का भी एक बड़ा अवसर है।
जी-20 से जुड़े आयोजन केवल दिल्ली या कुछ एक जगहों तक ही सीमित नहीं रहेंगे। इसके तहत देश के कोने-कोने में कार्यक्रम होंगे क्योंकि हर राज्य की अपनी विशेषताएं हैं, अपनी विरासत है। हर राज्य की अपनी संस्कृति है, अपना सौंदर्य है, अपनी आभा है, अपना आतिथ्य है।
जी-20 की अध्यक्षता दुनिया के सामने भारत को प्रदर्शित करने का अवसर प्रस्तुत करती है। भारत के प्रति वैश्विक जिज्ञासा और आकर्षण है जो जी-20 की अध्यक्षता की क्षमता को और बढ़ाता है। यह पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महान अवसर लेकर आया है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता पूरे देश की है और यह पूरी दुनिया को भारत की ताकत दिखाने का एक अनूठा अवसर है।
भारतीयता के रंग में सराबोर जी-20
भारत में जी-20 अध्यक्ष पद के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया है कि देश के 56 शहरों में जी-20 के विभिन्न समूहों की 215 बैठकें होंगी। ये बैठकें जिन राज्यों व शहरों में तय की जा रही हैं, वहां इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि संबंधित शहर में भारतीय प्रकृति, संस्कृति, विरासत, आस्था और परंपरा से मेहमानों को भ्रमण, भोज और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जोड़ा जा सके। प्राकृतिक सुंदरता, नाइट लाइफ, रामसर (वेटलैंड) स्थल, दुनिया का सबसे छोटा नदी द्वीप, यूरेस्को धरोहर, वास्तुकला, मंदिर धरोहर, पैलेस, हवेली, सांस्कृतिक राजधानी, अंतरराष्ट्रीय संगठन और अंतरराष्ट्रीय आकर्षण के केंद्र वाले शहरों को प्राथमिकता में रखा गया है। शुरुआती बैठकों में अतिथियों का भारतीय परंपरा और आतिथ्य के हिसाब से स्वागत किया गया तो राजस्थानी साफा, लोकनृत्य, हेरिटेज साइट भ्रमण, मुंबई में गेटवे आॅफ इंडिया तो बेंगलुरु की बैठक के बाद शोध के क्षेत्र में विश्व में नंबर-1 इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस का भ्रमण कराने के साथ रोबोटिक और नैनो टेक के स्टार्टअप के कार्य दिखाए गए। वहीं हर आयोजन स्थल पर लोकनृत्य के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जी-20 के मेहमान भारतीयता के रंग में सराबोर और आनंदित नजर आए।
भारत की कोशिश है कि जी-20 देशों के साथ अगस्त में होने वाले कार्यक्रम में प्रतिनिधियों के सामने देश के सॉफ्ट पॉवर योग और आयुर्वेद इंफ्रास्ट्रक्चर को पेश करें। नाड़ी वैद्य को भी बैठाने की तैयारी है। कोशिश है कि जी-20 की हर बैठक की शुरुआत या समापन पर योग को शामिल किया जाए। कोशिश है कि ट्रेडिशनल मेडिसिन पर अलग-अलग फोरम में चर्चा की जाए। जी-20 में से 14 देशों के साथ कंट्री-टू-कंट्री या स्टेट टू स्टेट भारत का समझौता (एमओयू) है। ऐसे में कोशिश होगी कि जी-20 में ट्रेडिशनल मेडिसिन का एक अलग इको सिस्टम बन जाए।
युद्ध नहीं, विश्व एक परिवार की भावना
पहली दिसंबर से अध्यक्षता शुरू होने के इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत का जी-20 एजेंडा- समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्य उन्मुख और निर्णायक होगा। उन्होंने एक विशेष ब्लॉग में लिखा कि जी-20 की अध्यक्षता करते हुए भारत एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना को साकार करेगा। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि अपने अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है। हमारे युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं है। आज दुनिया जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी जैसी सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री का कहना है कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की राष्ट्रीय सहमति किसी आदेश से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाजों को एक सुर में मिलाकर बनाई गई है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। साथ ही उन्होंने अंत में कहा है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट होना अनिवार्य है। इसके अलावा भारत की ओर से जिन एजेंडो पर जोर दिया गया है, उनमें डाटा फॉर डेवलपमेंट, मिशन लाइफ, नारी के नेतृत्व में विकास शामिल है, जिसमें भारत ने एक दिशा निर्धारित की है।
भारत के प्रति दुनिया के विश्वास का प्रतीक
दुनिया में जब भी जी-20 जैसे बड़े मंचों का कोई सम्मेलन होता है तो उसके अपने राजनयिक और भू-राजनीतिक अर्थ होते हैं। लेकिन भारत के लिए जी-20 समिट केवल राजनयिक सम्मेलन नहीं है। भारत इसे अपने लिए एक नई जिम्मेदारी के रूप में देखता है। अपने प्रति दुनिया के विश्वास के रूप में देखता है। बीते कुछ वर्षों में भारत की छवि तो बदली ही है, देश में मान और दुनिया में सम्मान भी बढ़ा है। आज विश्व में भारत को जानने, समझने की अभूतपूर्व जिज्ञासा दिख रही है। नए परिदृश्य में भारत का अध्ययन किया जा रहा है और वर्तमान की सफलताओं का आकलन भी किया जा रहा है। इतना ही नहीं, भविष्य के भारत के प्रति अभूतपूर्व आशाएं भी प्रकट की जा रही है। ऐसे में भारत भी जी-20 की अध्यक्षता के साथ अपनी सोच और सामर्थ्य, संस्कृति और समाजशक्ति से विश्व को परिचित कराने को तैयार है। आज जब भारत जी-20 की अध्यक्षता करने जा रहा है, तो यह आयोजन 130 करोड़ से अधिक भारतीयों की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतिनिधित्व है। आज भारत इस मुकाम पर पहुंचा है तो उसके पीछे हजारों वर्षों की यात्रा और अनंत अनुभव जुड़े हैं। भारत ने हजारों वर्षों का उत्कर्ष और वैभव देखा है तो विश्व के सबसे अंधकारमय दौर भी देखे हैं। सदियों की गुलामी और अंधकार को जीने के लिए मजबूरी भरे दिन देखे हैं। कितने ही आक्रांताओं और अत्याचारों का सामना करते हुए, भारत एक जीवंत इतिहास को समेटे हुए आज यहां तक पहुंचा है। वही अनुभव आज भारत की विकास यात्रा में उसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। आजादी के बाद शून्य से शुरू करके, शिखर को लक्ष्य करके, एक बड़ी यात्रा शुरू की। इसमें आजादी के बाद के पिछले 75 वर्षों में जितनी भी सरकारें रहीं, उन सभी के प्रयास शामिल हैं। सभी सरकारों और नागरिकों ने अपने-अपने तरीके से मिलकर भारत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। इसी भावना के साथ जी-20 की अध्यक्षता कर रहा भारत आज एक नई ऊर्जा के साथ पूरी दुनिया को साथ लेकर आगे बढ़ने को तैयार है।
भारत की प्रगति में ही विश्व की प्रगति
भारत की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति ने सदैव यह सिखाया है कि जब हम अपनी प्रगति के लिए प्रयास करते हैं, तो हम वैश्विक प्रगति की परिकल्पना भी करते हैं। आज भारत विश्व का इतना समृद्ध और सजीव लोकतंत्र है जिसके पास लोकतंत्र के संस्कार भी हैं और लोकतंत्र की जननी के रूप में गौरवशाली परंपरा भी है। भारत के पास जितनी विशिष्टता है, उतनी ही विविधता भी है। जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत दुनिया को यह दिखाने को तैयार है कि कैसे लोकतंत्र जब एक व्यवस्था के साथ-साथ एक संस्कार और संस्कृति बन जाती है, तो हितों के टकराव या संघर्ष की कोई गुंजाईश नहीं रह जाती। भारत आज दुनिया के हर मानव को आश्वस्त करने की स्थिति में है कि प्रगति और प्रकृति दोनों एक दूसरे के साथ चल सकते हैं। सतत विकास को केवल सरकारों के सिस्टम की जगह जन-जन के जीवन का हिस्सा बनाना है। आज विश्व इलाज की जगह आरोग्य की तलाश कर रहा है। भारत का आयुर्वेद, योग, जिसे लेकर दुनिया में एक नया विश्वास और उत्साह है, उसके विस्तार के लिए एक वैश्विक व्यवस्था बनकर उभरा है। इसी वर्ष अंतरराष्ट्रीय पोषक (मोटा) अनाज वर्ष मनाया जा रहा है, जबकि भारत सदियों से अनेकों मोटे अनाज को अपने घर की रसोई में जगह दिए हुए है।
अनुकरणीय होगी भारत की सफलता
बीते कुछ वर्षों में कई क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियां ऐसी हैं, जो विश्व के अन्य देशों के भी काम आ सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत ने डिजिटल इंडिया अभियान और डिजिटल तकनीक का उपयोग जिस तरह विकास, समावेशन, भ्रष्टाचार मिटाने, कारोबारी सुगमता और जीवन की सुगमता को बढ़ाने के लिए किया है, वह सभी विकासशील देशों के लिए एक आदर्श है। इतना ही नहीं, आज का भारत महिला सशक्तीकरण से आगे बढ़कर महिला के नेतृत्व में विकास के पथ पर चल रहा है। जनधन योजना हो या मुद्रा, महिलाओं का वित्तीय समावेशन सुनिश्चित हुआ है। भारत की सोच ऐसे ही विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभव को विश्व के साथ साझा करने की है ताकि विश्व कल्याण में योगदान दे सके। जी-20 की अध्यक्षता कर रहा भारत इन सभी सफल अभियानों को विश्व तक ले जाने का माध्यम बनेगा।

पीपुल्स जी-20 बनाने की सोच
भारत की जी-20 अध्यक्षता का एक प्रमुख तत्व जी-20 को जनता के करीब ले जाना और इसे वास्तव में ‘पीपुल्स जी-20’ बनाना होगा। इसे साकार करने के लिए, पूरे वर्ष विभिन्न जन भागीदारी गतिविधियों के माध्यम से नागरिक जुड़ाव और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक भागीदारी की योजना बनाई गई है। यही कारण है कि भारत की अध्यक्षता के पहले दिन को चिह्नित करने के लिए, कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। पहले दिन में, एक विशेष यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें देश भर के 75 विश्वविद्यालयों के छात्रों को एक साथ लाया गया। यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को जी-20 गतिविधियों में शामिल करना था। विभिन्न स्कूलों में विशेष जी-20 सत्रों के माध्यम से स्कूली छात्रों को भी शामिल किया गया था। इसी तरह लोगों की भागीदारी को आगे बढ़ाते हुए कोहिमा में हॉर्नबिल महोत्सव में जी-20 पर विशेष ध्यान दिया गया। यूनेस्को के कुछ विश्व धरोहर स्थलों सहित 100 स्मारकों को जी-20 लोगो के साथ विशेष रूप से रोशन किया गया था। इतना ही नहीं, नागरिकों को इन रोशन स्मारकों के आसपास एक सेल्फी अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया। सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर भारत के जी-20 लोगो की सैंड आर्ट बनाई।
राजनैतिक नेतृत्व से मांगा सहयोग
भारत की जी-20 अध्यक्षता का पल अपार गौरव का पल है क्योंकि दुनिया के करीब-करीब सभी बड़े विकसित और विकासशील देशों के राष्ट्र अध्यक्ष एक साथ 2023 में भारत आएंगे। शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और भारत उनकी मेजबाजी करेगा। भारत इस वैश्विक विश्वास पर भविष्य के लिए और मजबूती देना चाहता है इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के शासन प्रमुख और राजनीतिक दलों के नेतृत्व के साथ अलग-अलग बैठक करके उनसे सहयोग का आह्वान किया है। इन विमर्श बैठकों में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, यह भारत के पास देश की ताकत, जहां बैठकें होंगी उन राज्यों में पर्यटन, निवेश और व्यापार के अवसर को प्रस्तुत करने का अच्छा मौका है।
जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं। लेकिन भारत की यात्रा अब यहां से आगे बढ़ने की है। समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव को उत्प्रेरित करने की है। भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए भारत ने वसुधैव कुटुंबकम् के साथ ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का थीम दिया है।
Recent Comments